roop_theblogger: मै हूँ !: "सखा मेरे ,मुझे पाओगे तुम-नग्न शिशुओं की भीड़ मे ,मैं वहीँ हूँ ! प्रेम के मंदिर मे,तूफ़ानो के परिचित जगत मे,प्रतिदिन तुम्हारे व मेरे-सुखी दिन..."
kaise prakat karen apne udgar, jabki bandishen hazaron hai zindagi ki.ab to karar pane ko bekarar hain, chain shayad hi payenge kabhi..........................
2 comments:
रूप जी ,
स्वागत है आपका ....और शुभकामनाएं
:)
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