Pages

Friday, March 27, 2015

  कोशिशें की हमने हज़ार तुम्हे अपने रंग में रंगने की
    रंग अपने ही रगे -आगोश  चढ़ आया  !
   घिरता रहा खुद ही मकड़-जाले में मैं तो 
    होश आया ही कहां ,ज़िद ने' रूप' अपनी, हमे उलझाया !