Saturday, January 29, 2011
Tuesday, January 25, 2011
देश के " बासठवें गणतंत्र दिवस" एवं "इकसठवीं वर्ष गांठ " पर सभी को बधाई एवं शुभकामनायें.
आज राष्ट्र को सख्त ज़रूरत
एक आत्मा एक प्राण की .
चलो मिलकर करें प्रतिज्ञा,
हम सशक्त राष्ट्र निर्माण की!
आइये हम सब मिलकर यह प्रण करें कि हम सब अपने संविधान के प्रति निष्ठावान रहेंगे एवं अपने तिरंगे की आन बान व शान को कभी मिटने न देंगे !Saturday, January 15, 2011
माँ
तेरे आंचल की इस छांव को
कब से रहा था पुकारता
पर कौन था , जो मुझे
तेरी तरह दुलारता !
माँ, शायद आज समझा है
मैंने तेरी चाह को.
अब क्यों रहूँ मैं भ्रमित,
और किसी की राह को !
स्नेह सिक्त आँखें तुम्हारी
ढूंढती हैं हर घड़ी
लाल की एक झलक को
रहती होंगी घंटों खड़ी
समझ ही पाया है कहाँ
और क्या समझ भी पायेगा .
ना भी पाकर प्यार तेरा
प्यार ऐसा पायेगा !
दुःख-कष्ट पीड़ा झेलती
रहती ललन की याद मे
आश्रित होती गर कभी
तो तात की फरियाद मे
ठेस जो लगती कभी
पांव मे उसके कभी
पीड़ा भी होती कहाँ
दिल मे तेरे, तो तभी
पर किसने दिया है
तेरी कुर्बानियों का सिला
सुनते आयें हैं अब तलक -
बेटे को माँ से है गिला !
तेरे आंचल की इस छांव को
कब से रहा था पुकारता
पर कौन था , जो मुझे
तेरी तरह दुलारता !
माँ, शायद आज समझा है
मैंने तेरी चाह को.
अब क्यों रहूँ मैं भ्रमित,
और किसी की राह को !
स्नेह सिक्त आँखें तुम्हारी
ढूंढती हैं हर घड़ी
लाल की एक झलक को
रहती होंगी घंटों खड़ी
समझ ही पाया है कहाँ
और क्या समझ भी पायेगा .
ना भी पाकर प्यार तेरा
प्यार ऐसा पायेगा !
दुःख-कष्ट पीड़ा झेलती
रहती ललन की याद मे
आश्रित होती गर कभी
तो तात की फरियाद मे
ठेस जो लगती कभी
पांव मे उसके कभी
पीड़ा भी होती कहाँ
दिल मे तेरे, तो तभी
पर किसने दिया है
तेरी कुर्बानियों का सिला
सुनते आयें हैं अब तलक -
बेटे को माँ से है गिला !
Sunday, January 9, 2011
प्यार से सहलाते हुए
माथा प्यारे टामी का
निकल पड़े हैं धूप का सेवन करने
रसूखदार शर्मा जी !
दुलराते ,पुचकारते ,
कभी कांधे पे, कभी पीठ पर हाथ फेरते
टामी को ' फरागत' कराने का प्रयत्न करते शर्मा जी
लीन हैं , और शायद आत्मतुष्ट भी
टामी के बदन से आ रही है भीनी भीनी खुशबू
उस स्प्रे की, जो उनकी 'भागवान' ने छिड़का है
पास ही खड़ा हसरत से देखता है 'टेंगरा'
कांपता है ठंड से. थोड़ी धूप लेने का प्रयत्न करते हुए
लग जाता है शर्मा जी के दीवाल से.
शायद थोड़ी गर्माहट नसीब हो जाये उसे भी .
आगबबूला हो जाते हैं शर्मा जी उसे देखकर
भूंकतें हैं दोनों निरीह टेंगरा पर.
दुबक जाता है
और सरपट दौड़ लगाता है टेंगरा.
टामी कुछ दूर तक करता है पीछा
शर्मा जी पुचकारते हैं
लौट आता है टामी
और मेरी नज़र अनायास
शर्माजी के गेट पर पड जाती है
एक बोर्ड टंगा है
लाल अक्षरों मे शब्द मुह चिढाते हैं
माथा प्यारे टामी का
निकल पड़े हैं धूप का सेवन करने
रसूखदार शर्मा जी !
दुलराते ,पुचकारते ,
कभी कांधे पे, कभी पीठ पर हाथ फेरते
टामी को ' फरागत' कराने का प्रयत्न करते शर्मा जी
लीन हैं , और शायद आत्मतुष्ट भी
टामी के बदन से आ रही है भीनी भीनी खुशबू
उस स्प्रे की, जो उनकी 'भागवान' ने छिड़का है
पास ही खड़ा हसरत से देखता है 'टेंगरा'
कांपता है ठंड से. थोड़ी धूप लेने का प्रयत्न करते हुए
लग जाता है शर्मा जी के दीवाल से.
शायद थोड़ी गर्माहट नसीब हो जाये उसे भी .
आगबबूला हो जाते हैं शर्मा जी उसे देखकर
भूंकतें हैं दोनों निरीह टेंगरा पर.
दुबक जाता है
और सरपट दौड़ लगाता है टेंगरा.
टामी कुछ दूर तक करता है पीछा
शर्मा जी पुचकारते हैं
लौट आता है टामी
और मेरी नज़र अनायास
शर्माजी के गेट पर पड जाती है
एक बोर्ड टंगा है
लाल अक्षरों मे शब्द मुह चिढाते हैं
गरीबों के मसीहा, समाज सेवी
ए के शर्मा !
Wednesday, January 5, 2011
कविताओं का दौर तो चलता रहेगा और खबरें भी प्रचुर मात्रा मे उपलब्ध हैं, कुछ जानी , कुछ पहचानी ,कुछ अनजानी और कुछ बेगानी भी ! पर एक खबर ,जिसने मुझे आज यह लिखने को प्रेरित किया वह है, अमृतसर के सोलह वर्षीय मिथुन की उत्कट अभिलाषा, समाज के प्रति उनका नजरिया और समस्त विश्व को देने के लिए एक सन्देश . मिथुन एक ऐसे बिरले युवा हैं , जिनको मैं अपना नमन प्रस्तुत करता हूँ . पानी की एक-एक बूँद को बचाने के लिए मिथुन के प्रयास की जितनी प्रसंशा की जाय वह कम होगी,एक ऐसी उम्र जिसमे नवयुवा बाइक्स ,मोबाइल और गर्लफ्रेंड के पीछे भागते हैं (हुआ ना आश्चर्य!वैसे यही ट्रेंड है .), मिथुन शहर के रिसते नलकों को अपने संसाधनों से सुधारते हैं ताकि पानी की हरेक बूँद को नष्ट होने से बचाया जा सके . बड़े नेताओं के लिए संभवत: इस खबर मे कोई दिलचस्पी ना हो . लेकिन है यह अति महत्वपूर्ण और इसका मोल शायद वे समझ पाएंगे जिन्हें 'पानी की एक बूँद भी मयस्सर नहीं है, गमे -ज़िन्दगी निभाने को !' मिथुन के लिए शायद यह एक साधारण सी बात हो , पर इन युवाओं को मेरा सलाम ! और उनको है यह सन्देश जो नहीं जानते पानी का महत्व -
(चित्र गूगल से साभार !)
बूँद - बूँद से भरता सागर
बूँद-बूँद से बुझती प्यास
बूँद-बूँद ही अमृत-धारा
बूँद-बूँद ही जग की आस !(चित्र गूगल से साभार !)
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