Pages

Thursday, July 28, 2011

कोई बताये हमें !


कल  तक  जो  हमसाया था मेरा 
आज पास आने से भी कतराता है
क्यूँ होता है ऐसा , कोई बताये हमें !
क्यूँ ये प्यार समय में सिमट जाता है !  

क्यूँ हसरतें रह जातीं हैं अधूरी
क्यों दिल ये तनहा हो जाता है !
तमन्नाएँ , आरज़ूओं  की ख़लिश बढ़ातीं हैं 
क्यूँ कोई गूंथ के बिखर जाता है !

यारब तूने गढ़ें हैं खेल ये कैसे ?
रचा ये कैसा तमाशा है 
जब प्यार मंजिल  का एहसास पाने लगता है 
दिल ये  टूट  के बिखर जाता है !

Wednesday, July 27, 2011

बे -वज़ह


चलो, कुछ तुम कहो,कुछ हम  कहें
गुजर जायेंगे ये लम्हात यूँ ही 
आशियाँ मुहब्बत के रोशन होते रहेंगे 
जब दीदारे -यार चश्मनशीं  होगा !
ख्वाहिशें पूरी हों कि न हों 
दामन तुम्हारा कभी न छोड़ेंगे 
रहगुजर साथ रहेंगे हम तुम्हारे 
ख्वाहिशों कि बरसात न छोड़ेंगे 
बुनते रहेंगें सामां,अपनी बरबादियों का !
जश्ने-बहारां के हसरात न छोड़ेंगे !