दिल ने कहा-चलो चाँद छू आयें
चाहे ,जितनी भी अड़चने आयें
शीतल-मृदुल चाँद का स्पर्श
पाकर क्यों न हम खिल जायें
दूरी का भी क्या ग़म करना
जब मंजिल पर ताक लगायें
चलते जायें , बिना हिचक के
मंजिल को हासिल कर पाएं
छोटी-छोटी आशाएं हैं . छोटे-छोटे ही हैं सपने
इन सपनो को पालेंगे गर
तभी स्वप्न साकार हो पाएं
दिल ने कहा-चलो चाँद छू आयें
चाहे ,जितनी भी अड़चने आयें !