Pages

Monday, May 2, 2011

चलो चाँद छू आयें !

दिल ने कहा-चलो चाँद छू आयें 
चाहे ,जितनी भी अड़चने आयें 
शीतल-मृदुल चाँद का स्पर्श 
पाकर क्यों न हम खिल जायें 
दूरी का भी क्या ग़म करना 
जब मंजिल पर ताक लगायें 
चलते जायें , बिना हिचक के 
मंजिल को हासिल कर पाएं 
छोटी-छोटी आशाएं हैं .
छोटे-छोटे ही हैं सपने 
इन सपनो को पालेंगे गर 
तभी स्वप्न साकार हो पाएं  

दिल ने कहा-चलो चाँद छू आयें 
 चाहे ,जितनी भी अड़चने आयें !

Sunday, May 1, 2011

औ भगवन हम तक भी आएगा !

आज दिवस है उन लोगों का !
जिन्हें न उनका भान है .
सारा दिन तपती धरती पर
मिला कहाँ विश्राम है !
तुम कहते हो बदलो किस्मत !
तुम्ही ठोकरें देते हो .
जब भी माँगा है हक अपना .
विष-वमन ,तुम्ही कर देते हो. 
तुमसे  अच्छा  तो विषधर है ,
मेरा सहभागी रहता है 
जब तक न उसे छेड़ा जाये 
साथी ही साथी रहता है !
सारे सपने साकार किये 
तुम पर हमने उपकार किये 
पर कैसे इन्सां हो तुम महलों के 
हम पर बस तुम प्रहार किये !
कब तक कुचलोगे , रौंदोगे
कब तक हम सबको सौदोगे 
एक दिन ऐसा भी आएगा 
जमीर हमारा जाग जायेगा 
और जिन्हें पूजते हो महलों में 
वो भी हमसे घबराएगा .
अब तक वो रहा तुम्हारे दर
तुम्हे छोड़ के जायेगा !
इम्तहान होगा फिर ख़त्म 
औ भगवन हम तक भी आएगा !