कल की अनुभूति का एक चित्र प्रस्तुत करने की कोशिश करता हूँ . आप चाहें तो इसे सराह भी सकते हैं...............आपकी टिप्पणियां आमंत्रित हैं !
तिरछी चितवन, भींगा तन-मन
महका -महका सा है मधुवन
छलके है मृदु-प्रेम तुम्हारा
आह्लादित होता है जीवन !
आज सरस है नेह तुम्हारा
कलकल बहती जीवन -धारा
जी करता है , डूबूँ इनमे
कर दूं अपना जीवन -अर्पण !
तुम जो आये ,सावन आया
प्रेम-सुधा का रस बरसाया
छुन-छुन, छन -छन बजे पायल
गुंजित हुआ आज घर -आंगन !
तिरछी चितवन, भींगा तन-मन
महका -महका सा है मधुवन !
5 comments:
श्रृंगार रस से परिपूर्ण सुन्दर रचना
भावो का सुन्दर प्रवाह्।
सारा श्रृंगार रस कविता में उँडेल दिया है... लगता है प्रेयसी रंगों की फुहार में सराबोर हो न हो.. आपके शब्दों की बौछार में अवश्य भीग जाएगी!! और तस्वीर पर बस :)
श्रृंगार रस से परिपूर्ण सुन्दर रचना| धन्यवाद|
आप सभी का धन्यवाद, जो आप मेरे ब्लॉग पर आये और मेरी रचना पर टिपण्णी कर मुझे उपकृत किया . आपके स्नेह का आकांक्षी !
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