आज लौटा हूँ तो , लगने लगे हो तुम अपने
भूला था इन गलियों को , खता मेरी ही थी
तुम तो खोल कर बाहें ,आतुर हो स्वागत को
प्यार तो नहीं , ख्वाहिश सजा की मेरी ही थी
कैसे नहीं आता , पल जो बीते , खलिश,
खेंच कर ले ही आई
इतना भी कमज़र्फ नहीं ,
भूल तुम्हे , किसी और को अपनाता ,
ये तो न कहूँगा ये अदा तो है ,
पर ये अदा मेरी ही थी !
चलो भूल जायें -शिकवे- गिले .
फिर से नया आशियाँ बनाएं ,
इल्तिजा ये तो मेरी ही थी .
भूला था इन गलियों को , खता मेरी ही थी
तुम तो खोल कर बाहें ,आतुर हो स्वागत को
प्यार तो नहीं , ख्वाहिश सजा की मेरी ही थी
कैसे नहीं आता , पल जो बीते , खलिश,
खेंच कर ले ही आई
इतना भी कमज़र्फ नहीं ,
भूल तुम्हे , किसी और को अपनाता ,
ये तो न कहूँगा ये अदा तो है ,
पर ये अदा मेरी ही थी !
चलो भूल जायें -शिकवे- गिले .
फिर से नया आशियाँ बनाएं ,
इल्तिजा ये तो मेरी ही थी .