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Sunday, December 18, 2011

कई बार दिल ने चाहा
मजलिसों के हमराह न हों 
पर ख्वाहिशें कुछ ऐसी बढीं 
हम बारहा मजलिस हुए   !

Sunday, December 11, 2011

ख्वाहिश !

कोई रोज़ आता है , सपनो में मेरे
चुपके से कानो में कह जाता है ,
ढेर सी बातें
बातें , जो बेमानी नहीं होतीं
बातें , जिनका सरोकार होता है ,
जीवन की तल्खियों से , खुशिओं से
रुसवाइयों से ,शहनाइयों से
बातें ,जो कह जातीं हैं,
चुपके से कानो में
कल आएगा , एक दिन ऐसा
पूरे होंगें, ख्वाब तुम्हारे
सपना सच हो जायेगा
नए समाज की सादगी,
अठखेलियों में.
सपना , तुम्हारा  मुस्कुराएगा  !

Wednesday, December 7, 2011

बीत गया !

एक और बरस बीत गया 
जीवन घट रीत गया 
साथी और मंजिल यूँ ही मिलते गए 
संकट -विकट कट ,पीट गया 
चाहा था छूना आसमान मैंने भी  
कुछ पहुँच पाया , कुछ गीत गया 
मेरा तो कुछ भी अपना न था 
जो तुमने दिया वह मीत नया  !
मेरे मन की पीड़ा हर ली 
संग तुम्हरे , पल नवनीत नया .
एक और बरस बीत गया 
जीवन घट रीत गया !