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Tuesday, August 25, 2009

काफी दिनों के बाद

कई दिनों से कुच्छ लिखा नही , सोचता ही रह गया ब्लॉगर पर जाऊँ या नहीं ! दरअसल मुश्किल तो यह है की लोगों के पास मेरी इन भावनावों का कोई महत्व भी है क्या ? सच्चाईतो यह है की ब्लॉगर कोई पढ़ता ही नही.......

Wednesday, January 14, 2009

तराना

तुम्हारे लब पर ये तराना
लगता है जैसे
सपनों के झूले मे , कोई ...........
हसीं नाजनीन ________________
क़यामत की पेंगे मारती हुई ,
अच्छा ये तो बताओ !
ये तराना ____________
जो , तुम गुनगुना रही हो
तुम्हारे प्यार मे पड़ने का सुबूत तो नहीं!