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Saturday, August 23, 2014

चिंताएं !

कुछ  फ़र्क़ नही पड़ता उन्हें 
कि  तुम्हारे घर मे ए सी विंडो है या स्प्लिट 
 या कि तुम्हारे ड्रेसिंग टेबल पर 
किस ब्रांड की परफ्यूम  है 
तुम्हारे कुत्ते (जिसे तुम अपने बेटे से भी ज़्यादा प्यार करते हो )
के गले में  पड़ा पट्टा 
कहाँ से इम्पोर्ट किया है तुमने 
तुम्हारे आलिशान बंगले के बाहर की 
वो इबारत 
"कुत्तों से सावधान" ?
से उनकी पेशानी पर नही पड़ता कोई बल 
उन्हें तो इस बात से  नही पड़ता की तुम्हारी 
पत्नी या बेटी के शरीर का ज़्यादातर हिस्सा 
खुला  क्यों है !
जबकि तुम संपन्न हो 
उन हिस्सों को पूरी तरह से महफूज़ रखने में !

 उनकी चिंताएं -
तो बस  इतनी सी हैं 
कि आज रात का चूल्हा जलेगा भी या नही !
कि किसके हिस्से में  आएँगी 
कि मुन्नी  की झीनी हो चली चुन्नी को कैसे बदलें 
जबकि तुम जैसों की बेधतीं नज़र उसको हर रोज़ 
अधूरा करती जाती है !
कि इस बार जब बरसेगा भादो 
तो टूटी चारपाई किस कोने में -
बिना भींगे बिछ जाएगी !