Wednesday, September 17, 2008
Monday, September 15, 2008
अब आये हो तुम !
सूख चले जब नीर नदी के ,
ठूंठ पड़ गयीं जब शाखाएं
बंज़र हरीतिमा मे -
कोई नयी आस जगाने
किसको- कब भाए हो तुम,
अब आए हो तुम,-!
तन्हाई जब रास आ गयी
पतझड़ जब बन गए सहारे
ऐसे मे क्यों आए ही तुम
प्यास जगाने, पास हमारे
अब तक ही क्या पाए हो तुम
अब आए हो तुम! ............
सूख गयीं जब सारी फिजायें
धूल उड़ाती हुई हवाएं
ले आईं हैं बस संजीदी
गुम हो गयीं जब सारी घटायें
क्या कभी गुंजाये हो तुम !
अब आये हो तुम !
शाम उदासी का आँचल ओढ़े
सिमट चली है धीरे-धीरे
खुभतीं हैं नीली आँखों मे
धीमी-धीमी जब शहतीरें
जीवन भी हर्षाये हो तुम
अब आये हो तुम !
सूख गयीं जब सारी फिजायें
धूल उड़ाती हुई हवाएं
ले आईं हैं बस संजीदी
गुम हो गयीं जब सारी घटायें
क्या कभी गुंजाये हो तुम !
अब आये हो तुम !
शाम उदासी का आँचल ओढ़े
सिमट चली है धीरे-धीरे
खुभतीं हैं नीली आँखों मे
धीमी-धीमी जब शहतीरें
जीवन भी हर्षाये हो तुम
अब आये हो तुम !
Wednesday, September 10, 2008
Thursday, September 4, 2008
अक्स
नैनों के बंद कपाट खोल कर देखो
तुम्हे अपने अक्स मे ही सब नज़र आएगा
देखो देव तुम या देखो इब्लीस
रफ्ता रफ्ता दीवाना बदल जायेगा
मौसम की गमगीनी का हो गुमां
या हो खुशी की लरज़ती फुहारें
तुम्हारे ही आगोश के दरमियाँ
खुदा का हर हुस्न नज़र आएगा
ऐ यारब तूने बनाई है दुनिया ऐसी
कीहर शख्स तुझे ही कोसता है
सच तो ये है के बराबर ही बांटा तूने
तेरी यादों मे परवाना गुज़र जाएगा !
तुम्हे अपने अक्स मे ही सब नज़र आएगा
देखो देव तुम या देखो इब्लीस
रफ्ता रफ्ता दीवाना बदल जायेगा
मौसम की गमगीनी का हो गुमां
या हो खुशी की लरज़ती फुहारें
तुम्हारे ही आगोश के दरमियाँ
खुदा का हर हुस्न नज़र आएगा
ऐ यारब तूने बनाई है दुनिया ऐसी
कीहर शख्स तुझे ही कोसता है
सच तो ये है के बराबर ही बांटा तूने
तेरी यादों मे परवाना गुज़र जाएगा !
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