कुछ इल्म हुआ यूँ मुहब्बत के बाद, दामन मे दिल के, एक गाँठ लगी!
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Sunday, December 18, 2011
कई बार दिल ने चाहा
मजलिसों के हमराह न हों
पर ख्वाहिशें कुछ ऐसी बढीं
हम बारहा मजलिस हुए !
1 comment:
Pallavi saxena
said...
केवल एक शब्द वाह !!!
December 19, 2011 at 12:02 PM
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1 comment:
केवल एक शब्द वाह !!!
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