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Sunday, September 5, 2010

नजराना

मौसम का ये नजराना ,तुम्हारे लिए है
तुम गाओ,न गाओ,तराना तुम्हारे लिए है
गम के साए मे ही, उलझकर रह गए हो क्यूँ!
जहाँ मे खुशिओं का खज़ाना, तुम्हारे लिए है
हर पल एक बोझ,दिल पर लिए फिरते हो-
हर वक़्त देते हो गर्दिशों की दुहाई !
तुम समझो  गर, इसे ऐ मेरे हमदम 
हर रह आशिकाना,तुम्हारे लिए हैं!

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