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Wednesday, September 1, 2010

संपूर्ण

तुम्हारी वाणी -भादो  की उछ्रिन्खलता,
मन मेरा गाने लगा था .
तुम्हारे ह्रदय मे पूर्णता,ढूंढने लगा था मै!
विलीन- पूर्व-मुहूर्त की वो स्मृति ,
नभ के तारे भी जब क्लांत थे ,
तुमने मुझे अभय दिया था!
उच्छवासित आवेग से -काँपा था मेरा मन,
फिर भी पूछा था -मैंने तुमसे
"तुम कितनी समर्पित हो मेरे लिए!"
'संपूर्ण'_तुमने कहा था ,
ऐसी पूर्णता,किसी ने न दी थी मुझे,
मैं रो पड़ा था !

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