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Tuesday, August 17, 2010

pariwartan

कंप्यूटर लैब मे बैठे -बैठे अचानक एक विचार आया , चलो ,कुछ नया करते हैं, अब नया करने से पहले यह सोचना भी था कि जो कुछ भी नया करना है, वह उपयोगी व महत्वपूर्ण हो, तभी उसका औचित्य है, तब सोचा , क्यूँ न कुछ लोगों को अपने विचार व्यक्त करने के लिए प्रेरित करें , और उसके लिए एक मंच तैयार किया जय, क्योंकि अपने भारत मे ऐसे लोगों कि संख्या कुछ कम नहीं , जो पदे -लिखे है, और जिन्हें, कोई मंच नहीं मिला, तो मैंने आज कि शाम इसके लिए निर्धारित किया और अपने परिचितों से मिला , मैंने उन्हें अपने विचार बताये, कुछ ने उसे झट से स्वीकार कर लिया और अपनी सहमती दे दी पर कुछ लोगों ने इफ और बट भी किया. खैर, जिन लोगों ने अपनी सहमती दी ...उन्हें मैंने अपने विचार एकत्रित कर उसपर परिचर्चा करने हेतु एक नियत समय का निर्धारण कर लिया , मेरे आश्चर्य का तब ठिकाना नहीं रहा , जब मैंने यह पाया, कि कुछ विचार तो इतने परिपक्व व प्रभावी हैं ,कि उन्हें यदि, सहृदयता से लिया जय,तो भारत मे चम्ताकारिक विकास हो सकता है, मैंने तुरंत ही कुछ प्रतिष्ठित लोगों को वो विचार दिखलाये..................आगे भी है...........

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