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Saturday, August 28, 2010

हसरत

आओ कि करार आ जाये अब दिल को, 
कब तक मुन्तजिर रह पायेंगे हम
बेताबियाँ कुछ तल्ख़ सी न हो जाएँ, 
चैन को अब थोड़ी तो तस्सली दे दो! 

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