कुछ इल्म हुआ यूँ मुहब्बत के बाद, दामन मे दिल के, एक गाँठ लगी!
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Monday, February 28, 2011
चेहरे पर उभर आयीं ये लकीरें तनाव की,
ये यूँ ही नहीं उभर आई हैं.
छेड़ा है इन्हें उन नामुराद हवाओं ने ,
जिनकी शोखी में भी रुसवाई है !
1 comment:
Kailash Sharma
said...
बहुत खूब!
February 28, 2011 at 5:28 AM
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1 comment:
बहुत खूब!
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