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Wednesday, November 17, 2010

ज़िक्र हो ज़मी का ,या आसमां की बात हो
अब तो ख़त्म होती है वहीँ ,जहाँ तुम्हारी बात हो .
ज़िन्दगी मे मेरे अब है ही क्या तुम्हारे सिवा ,
अब तो बस तुम्ही तुम मेरी हयात हो .
हर वक़्त आँखों मे समाया है तुम्हारा ही अक्स
अब है किसे फिक्र ,कब दिन हो कब रात हो ,
रोशन हैं खुशियाँ इस ज़िन्दगी मे तब तक
जब तक तुम ,ज़िन्दगी के मेरे साथ हो !
                  --- रूप ---

1 comment:

ZEAL said...

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रोशन हैं खुशियाँ इस ज़िन्दगी मे तब तक
जब तक तुम ,ज़िन्दगी के मेरे साथ हो...

khoobsurat panktiyan !


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