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Thursday, October 14, 2010

दिल की धड़कनों ने ली हैं अंगड़ाइयां 
एक पुराना ज़ख्म फिर से उभर आया है !

3 comments:

ZEAL said...

दिल की धड़कनों ने ली हैं अंगड़ाइयां
एक पुराना ज़ख्म फिर से उभर आया है !


hmm...hota hai aisa bhi ...

.

महेन्‍द्र वर्मा said...

इन दो पंक्तियों में युगों-युगों की कहानी शामिल है।

ASHOK BAJAJ said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति .

श्री दुर्गाष्टमी की बधाई !!!