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Saturday, October 16, 2010

विजयदशमी, बुराई पर अच्छाई कि जीत. एक  ऐसा पर्व जो ना केवल नवरात्रि कि महिमा का बखान करता है, अपितु भगवान राम के रावण विनाश का भी बखान करता है, मान्यता है कि आज के ही दिन भगवान श्रीराम ने रावण का बध किया था और देवी सीता को लंका के अशोक वाटिका से मुक्त किया था . आज इस पर्व के पावन अवसर पर मै, आप सबको बधाई देता हूँ.और आपके सुखमय भविष्य की कामना करता हूँ. भारत जैसे देश मे , जहाँ विभिन्न प्रकार की जातियां, धर्म, संस्कृति न केवल जीवित है , बल्कि आपने समुच्चय रूप मे पुष्पित , पल्व्वित होती है  .किसी पर्व विशेष का उत्साह, किसी वर्ग विशेष तक ही सीमीत नहीं रहता, इसका असर पूरे समाज, और राष्ट्र पर पड़ता है. विश्व  के कई उन्नत देश जब आज  आन्तरिक कलह, द्वेष और विघटन के शिखर पर हैं , मुझे अपने देशवासियों को  एक सन्देश देना है. निम्नलिखित कविता प्रभाव डालेगी और यदि हम स्वतः इसका पालन करें तो निश्चित ही हमारे विकास का मार्ग प्रशस्त होगा.


विपदाएं तो आएंगी, सखा मेरे,
जब भी लोगे तुम, एक दृढ संकल्प.
ठोकरें तो लगेंगी ही राह मे ,
बनना चाहोगे, जब एक विकल्प.
नियति ने क्या कभी, 
मारी है ठोकर-
उस संत को,
भरा है जिसमे केवल आत्मबल !
यह आत्मबल ही पहुंचाएगा,
 तुम्हे शिखर तक,
तुम गर आज करो -एक संकल्प.
विकल्प तुम तो हो सकते हो
होगा ना कोई, तुम्हारा विकल्प !

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