Pages

Sunday, December 26, 2010

बेसाख्ता छलक आये नीर नैनों से
तुमने जो मेरे  काँधे  पे हाथ धर दिया !
मैं तो यूँही बेचारा सरे-राह फिर रहा था 
तुमने मेरे धूप को साया कर दिया !

2 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

वाह बहुत खूब ....यूँ ही साया मिलता रहे



यहाँ आपका स्वागत है

गुननाम

Kailash Sharma said...

लाज़वाब..