Pages

Sunday, November 14, 2010

है गुज़ारिश, तुम पास बैठो हमारे 
डर है ,कहीं मैं खुद मे ही न खो जाऊं !

2 comments:

nilesh mathur said...

बहत सुन्दर!

nilesh mathur said...

बहुत अच्छा लिखते हैं आप, टिप्पणियों कि चिंता ना करें बस लिखते रहें!