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Saturday, January 7, 2012

गर खुद को लुटाये होते ..!

नैनों की भाषा गर समझ पाए होते
जीवन को तुम भी हसीं बनाये होते
ये जो दिमाग आड़े आता रहा तुम्हारे
दिल से सोचा होता , तो मुस्कुराये होते ...!
चलते-चलते राह में ,कई साथी मिले ,
कुछ राह में ही रह गए , कुछ हमराज़ बने
दिया कुछ थोडा सा , पाया हमने इन्तहा
खुश होते बहुत,गर खुद को लुटाये होते ..!



2 comments:

Sunil Kumar said...

वाह वाह , बहुत खूब............

लोकेन्द्र सिंह said...

bahut khoob.. bahut badiya..