एक और बरस बीत गया
जीवन घट रीत गया
साथी और मंजिल यूँ ही मिलते गए
संकट -विकट कट ,पीट गया
चाहा था छूना आसमान मैंने भी
कुछ पहुँच पाया , कुछ गीत गया
मेरा तो कुछ भी अपना न था
जो तुमने दिया वह मीत नया !
मेरे मन की पीड़ा हर ली
संग तुम्हरे , पल नवनीत नया .
एक और बरस बीत गया
जीवन घट रीत गया !
जीवन घट रीत गया
साथी और मंजिल यूँ ही मिलते गए
संकट -विकट कट ,पीट गया
चाहा था छूना आसमान मैंने भी
कुछ पहुँच पाया , कुछ गीत गया
मेरा तो कुछ भी अपना न था
जो तुमने दिया वह मीत नया !
मेरे मन की पीड़ा हर ली
संग तुम्हरे , पल नवनीत नया .
एक और बरस बीत गया
जीवन घट रीत गया !
5 comments:
यही जीवन सत्य है।
सच है... सुंदर पंक्तियाँ
सत्य है...ऐसे ही बीत जाते हैं पल...
ये जीवन का सत्य है .. समय ऐसे ही बीत जाता है ... कभी रीता कभी भरा ....
ऐसे सैकड़ों बरस आते रहें आपकी जीवन में और जीवन=घाट अनंत काल तक भरा रहे आनंद, सुख और शान्ति से!!
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