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Monday, August 15, 2011

  आज का ये पोस्ट मैं समर्पित कर रहा हूँ अपने एक शिष्य को, जिसके साथ एक हादसा हो गया और जिसके लिए मेरे पास ये शब्द रूपी संवेदना है, शायद वह इसे पढ़ ले !


कोई सुन न सुने मुकद्दर उसका 
फ़र्ज़ हमारा है आवाज़ लगाते रहना 
जिंदगी ठोकरें दे चाहे जितनी 
जोत से जोत  जगाये रखना !
आस टूटती नही ,चाहे बाधाएं जितनी आयें 
आस की सांस सजाये रखना
लोग तो कुछ भी कहते रहते हैं 
तुम हौसलों के पंख लगाये रखना !

6 comments:

nilesh mathur said...

आपके शिष्य के लिए शुभकामना।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सुंदर आशावादी सोच जगाती पंक्तियाँ....

vidhya said...

आपके शिष्य के लिए शुभकामना।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

हिम्मत न हार, चल चला चल!!

पूनम श्रीवास्तव said...

sir
bahut hi behatreen tareeke se aapne apne shishhy ko hriday se samvedna prakat ki hai .iswar se prarthna hai ki vo jis hadse se gujare hai usse jald se jald bahar aa jaye
unke liye bahut bahut shubh kamnayen v aapko hardik badhai
poonam

ZEAL said...

हिम्मत बंधाती सुन्दर पंक्तियाँ। शिष्य के लिए आपका प्रेम अनुकरणीय है।