सावन के झूलों में
पींगे पिया के याद की समाई हैं
तुम आओ ना,रिमझिम की झड़ी
तुम्हारे प्यारे स्पर्श का संदेशा तो ले आईं हैं !
नयन राह तकते हैं ,
झोंके बयार के मादक लगते हैं
ऐसे में जब गूंजती है प्यार की शहनाई
पिया ,नस-नस में एक हुलास सी ले आई है
सखियाँ जब करती हैं रात की बातें
गुजारी बाँहों में सौगात की बातें
तुम्हारे स्नेहिल-स्पर्श की यादें
मेरे दिल की धडकने देती हैं दुहाई
लेती हैं नाम तुम्हारा , कहती हरजाई हैं
तुम आओ ना ,रिमझिम की झड़ी
तुम्हारे प्यारे स्पर्श का संदेशा तो ले आयीं हैं !
4 comments:
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है,
वही याद सीने में फिर जल पड़ी है!!
सावन की रिमझिम और पीया की याद!! रूप बाबू, दिल को छू जाता है!!
बहुत सुंदर ...
मेरे दिल की धडकने देती हैं दुहाई
लेती हैं नाम तुम्हारा , कहती हरजाई हैं ...
Impressive lines !
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badiya rimjhim fuhaarbhari rachna..
Shubhkamnayen!
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