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Wednesday, July 27, 2011

बे -वज़ह


चलो, कुछ तुम कहो,कुछ हम  कहें
गुजर जायेंगे ये लम्हात यूँ ही 
आशियाँ मुहब्बत के रोशन होते रहेंगे 
जब दीदारे -यार चश्मनशीं  होगा !
ख्वाहिशें पूरी हों कि न हों 
दामन तुम्हारा कभी न छोड़ेंगे 
रहगुजर साथ रहेंगे हम तुम्हारे 
ख्वाहिशों कि बरसात न छोड़ेंगे 
बुनते रहेंगें सामां,अपनी बरबादियों का !
जश्ने-बहारां के हसरात न छोड़ेंगे !

6 comments:

vandana gupta said...

सुन्दर रचना।

रश्मि प्रभा... said...

waah...

संजय भास्‍कर said...

मन को गहरे तक छू गई....बेहद मर्मस्पर्शी..

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

और रूप जी!
ऐसी मोहब्बत पर कौन छोडना चाहेगा आपका दामन!! बहुत खूब!!

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत सुंदर...प्रभावित करते भाव ..

रूप said...

आप सबको कोटिश:धन्यवाद !