चलो, कुछ तुम कहो,कुछ हम कहें
गुजर जायेंगे ये लम्हात यूँ ही
आशियाँ मुहब्बत के रोशन होते रहेंगे
जब दीदारे -यार चश्मनशीं होगा !
ख्वाहिशें पूरी हों कि न हों
दामन तुम्हारा कभी न छोड़ेंगे
रहगुजर साथ रहेंगे हम तुम्हारे
ख्वाहिशों कि बरसात न छोड़ेंगे
बुनते रहेंगें सामां,अपनी बरबादियों का !
जश्ने-बहारां के हसरात न छोड़ेंगे !
6 comments:
सुन्दर रचना।
waah...
मन को गहरे तक छू गई....बेहद मर्मस्पर्शी..
और रूप जी!
ऐसी मोहब्बत पर कौन छोडना चाहेगा आपका दामन!! बहुत खूब!!
बहुत सुंदर...प्रभावित करते भाव ..
आप सबको कोटिश:धन्यवाद !
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