टकटकी लगाये हुए देखता हूँ तुम्हे
महसूसता हूँ कंपन तुम्हारे लबों का !
तुम्हारे काजल की धार
तुम्हारे फड़कते अभ्र
कितना खुशनसीब हूँ मैं ,
जो तुम्हे पाया है ----------
"उम्र ढ़लती जाती है
बुढ़ापा देने लगा है दस्तक
चांदी की चमक -
झाँकने लगी है बालों में "
तुम कहती हो .
मुझे लगता है -
और भी खूबसूरत हो गयी हो तुम !
तुम्हारे नक्श आज भी ,
इक अंगड़ाई का कारण है .
स्मित तुम्हारा -
एक मादक संगीत का दस्तक !
तहाते हुए मेरे कपडे
सजाते हुए मेरी थाली
और-
कभी हिचकी लेते ही दौड़ना -
पानी के ग्लास के लिए !
तुम कितनी अच्छी हो !
छोड़ आई अपनी देहरी
जहाँ गुड़ियों के लिए कभी -
सहेजती थीं कपड़े !
लगाती थीं
बालों में महकता फ़ूल!
आज देखता हूँ तुम्हे-
सहेजते हुए घर की तक !
सजाते हुए
दरवाज़े पर एक रंगोली !
तुम कितनी खुबसूरत हो !
मेरे ये शब्द ,
क्या कभी -
देंगे तसल्ली
तुम्हे !
क्या समझ पोगी तुम
कितनी कसक उठती है
तुम्हारा साथ, तुम्हारा स्पर्श पाने को !
आज शब्दों के ताने-बाने
बुनकर "अनायास ही "!
तुम कितनी खुबसूरत हो !
8 comments:
वाह वाह कोमल भावो का सुन्दर समन्वय्।
रूप जी!
जीवन साथी का सौन्दर्य कभी कम नहीं होता, बल्कि बढता ही जाता है उम्र के साथ साथ..क्योंकि तब मन की सुन्दरता भी चेहरे पर दिखाई देने लगती है..
बहुत ही खूबसूरत भाव!
बहुत ही प्यारे भाव....
ये प्यार उम्र के साथ बढ़ता है....
मेरे ये शब्द ,
क्या कभी -
देंगे तसल्ली
तुम्हे !
क्या समझ पोगी तुम
कितनी कसक उठती है
तुम्हारा साथ, तुम्हारा स्पर्श पाने को !
आज शब्दों के ताने-बाने
बुनकर "अनायास ही "!
तुम कितनी खुबसूरत हो !waah
बहुत खूबसूरत भावों को लिए अच्छी रचना
बहुत खुबसूरत शब्दों से सजाया है, सुन्दर!
छोड़ आई अपनी देहरी जहाँ गुड़ियों के लिए कभी -सहेजती थीं कपड़े !लगाती थीं बालों में महकता फ़ूल!आज देखता हूँ तुम्हे-सहेजते हुए घर की तक !सजाते हुए दरवाज़े पर एक रंगोली !तुम कितनी खुबसूरत हो !
बहुत बढ़िया ....कमाल के भाव लिए पंक्तियाँ
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You seem to be a wonderful husband and your wife is damn lucky apart from being beautiful.
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