दिल ने कहा-चलो चाँद छू आयें
चाहे ,जितनी भी अड़चने आयें
शीतल-मृदुल चाँद का स्पर्श
पाकर क्यों न हम खिल जायें
दूरी का भी क्या ग़म करना
जब मंजिल पर ताक लगायें
चलते जायें , बिना हिचक के
मंजिल को हासिल कर पाएं
छोटी-छोटी आशाएं हैं . छोटे-छोटे ही हैं सपने
इन सपनो को पालेंगे गर
तभी स्वप्न साकार हो पाएं
दिल ने कहा-चलो चाँद छू आयें
चाहे ,जितनी भी अड़चने आयें !
9 comments:
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दिल ने कहा-चलो चाँद छू आयें
चाहे ,जितनी भी अड़चने आयें !...
Beautiful and inspiring lines Roop ji .
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दिल ने कहा-चलो चाँद छू आयें
चाहे ,जितनी भी अड़चने आयें !...
Beautiful and inspiring lines Roop ji .
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जहां हौसले होते हैं वहीं मंजिल भी मिलती है...
बहुत खूब कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
दिल का कहा टालना भी नहीं चाहिए!!
जीवन की आशा को जगाती पंक्तियाँ....
main chaand ko roj chhuti hun... to chalen sab saath saath
दिल ने कहा-चलो चाँद छू आयें
चाहे ,जितनी भी अड़चने आयें !
बस, यही हौसला तो चाहिये जीवन में किसी भी ऊँचाई को पाने के लिए..
बहुत सार्थक रचना, बधाई स्वीकारो!!!!
भावनाओं से भरी रचना. उम्दा सोच है...
छोटी-छोटी आशाएं हैं .
छोटे-छोटे ही हैं सपने
इन सपनो को पालेंगे गर
तभी स्वप्न साकार हो पाएं
दिल ने कहा-चलो चाँद छू आयें
चाहे ,जितनी भी अड़चने आयें !
चाँद छूने का बहन अच्छा है...... बहुत सुन्दर
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