कल सपने में देखा था
एक हसीन भारत / एक खुशहाल भारत ,
हरी-भरी धरा से आवृत
लहलहाती फसलें, प्रसन्न किसान
खिलखिलाते बच्चे
आश्चर्य !
देखा था मैंने , देश के नेता
देखा था मैंने , देश के नेता
फूस की झोपड़ी
गोबर लिपे आंगन में
अपने अनुचरों के साथ
चर्चा में लीन हैं !
देखा मैंने , अद्भुत दृश्य !
माताएं अपने नौनिहालों के साथ,
अठखेलियाँ कर रहीं हैं
दूर कहीं हवा में विलीन
रामचरित मानस के दोहे ,
अजान की आयतें
चर्च की घंटियाँ
सुमधुर संगीत से आबद्ध !
पाठशालाओं में
बच्चे समवेत स्वरों में
आह्वान करते हैं !
करते हैं माँ सरस्वती की वन्दना
गुरूजी के चेहरे पर दिव्य तेज़ है !
सड़कों पर /गाँव के बैलों की घंटियाँ
लय-ताल युक्त गीत
और, हाट में गाँव के / कोई मोल-भाव नही !
चहुँ और शांति व्याप्त है
शांति, जो सुखकर है
समृद्ध है
वंदनीय है !
बगिया में,कोयल का सुमधुर राग
पुरवैयों से झूलतीं डालियों का फाग
तलैया में श्वेताम्बरों की जाग
देखा था मैंने, कल सपने में !
टूट गया ! /शोर इतना था बाहर/आंख खुली
तो देखा / पानी की कतार में/ बर्तन लड़ने लगे थे !
14 comments:
अद्भुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!
रुप जी----
बहुत सुन्दर शब्द आपने लिखे है वैसे,
आपने सपना देखा है, मैंने हकीकत में देखा है, बस यही फ़र्क है आप में और मुझमें
बहुत सुंदर ...बेहतरीन शाब्दिक चित्रण किया भावों का
यह सब तो केवल सपने में ही दिख सकता था ...अच्छी प्रस्तुति
लेखनी से निकले चमत्कारिक विचार.
बेहतरीन कविता।
सादर
paani ki kataar mein ladte bartan.....Great expression !
पुरवैयों से झूलतीं डालियों का फाग
तलैया में श्वेताम्बरों की जाग
देखा था मैंने, कल सपने में !
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
गहरी अभिव्यक्ति ...
सुन्दर.... बेहतरीन चित्रण...
सादर...
ye sunder sapna to raam-rajy ka lagta hai. ab to ye tabhi sambhav hai jab srishti ek bar vinash kar fir se nayi saranchna kare.
sunder abhivyakti.
खुबसुरत अभिव्यक्ति
विसंगतियों को अद्वितीय ढंग से रेखांकित किया है आपने...
बहुत बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर...
अति सुन्दर रचना।
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