आज फिर पूजा गया मैं !
पांचवे सितम्बर को
याद आ ही गयी मेरी ,
उन्हें , जो मेरी सेवाओं के
प्रतिफल थे !
जिन्हें बनाने से पहले
बनना चाहा था मैं.
सच का वो बीज,
जिसे अंकुरित होने में
पूरे छब्बीस वर्ष लगे थे!
जिसके पीछे एक ,
सुरक्षित आस थी !
और शुरुआत भी, जिसकी
तफसील से गुमराह थी !
कोई 'राधा कृष्णन' नहीं थे,
जिसके पीछे !
पर, इस पूजा ने,
इस सम्मान ने,
एक राह तो बनाई है ,
एक उम्मीद तो जगाई है.
एक संकल्प तो दिया है.
तुम्हारे लिए ही जलूँगा .
और कुम्हार भी बनूँगा
तुम्हारी आशाएं गढ़ूंगा .
संकल्प आज लेता हूँ !
मेरे प्यारों .
भविष्य रोशन होगा तुम्हारा !
भविष्य रोशन होगा तुम्हारा !
4 comments:
शानदार प्रस्तुति
...शिक्षक दिवस की शुभकामनायें|
रूप जी!
एक अलग प्रस्तुति!! धन्यवाद!!
बहुत ही सुंदर ...शुभकामनायें
सुन्दर संकल्प ... अच्छी प्रस्तुति
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