स्पर्श, इस बयार का.....
लेती हुई ,मादक अंगड़ाई
बालियाँ ,लहराते खेतों की
सन्देशा प्यार का लेकर आई है।
झूमो, नाचो, गाओ, कि दिल के तार ,
खिल उठें बयार बनकर ।
उड़ेल दो प्यार का सागर ,
बज उठे प्रकृति, लेकर नया श्रृंगार ।
उड़ता आँचल तुम्हारा,
लेता है, अठखेलियाँ .....
लहराता ऐसे, कि थम लेगा बहार सारी
अब तो न रुको, बिखराओ मादक गीत ,मिलाओ सुर .......
तुम भी , बहारों के गीत गाओ ।
2 comments:
please disable the following in settings
no adult content and word verification
aapka niwedan sweekarya hai, dhanyawad..... padte rahiye....
Post a Comment