आज तुम मुस्कुराये ऐसे
आज तुम मुस्कुराये ऐसे ,
कोई पंखुरी छू जाये जैसे ।
तेरे भींगे रुखसार से लगा,
कोई चांदनी मे नहा आये जैसे।
टिमटिमाते हैं,गगन मे तारे,
कोई इशारों से बुलाये जैसे
तुम्हारे द्वार से लौटी यूँ पुकार
छूकर लहर आ जाये जैसे
यह मौसम का मादक संगीत,
रूमानी ग़ज़ल छिड़ जाये जैसे !
1 comment:
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
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