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Wednesday, November 9, 2011

चार दृश्य !

                      दृश्य -१
अब तो सुविधा संपन्न है जिंदगी !
मम्मी की आँखों में पानी है,
"बालिका बधू "की दुर्दशा देखकर 
कोसे जा रहीं हैं 'जगया' और 'माँ सा' को 
बेटा पिछले कमरे से चिल्लाये जा रहा है 
शायद किसी कीड़े ने काट खाया है उसे !
                     दृश्य -२
कल रात  की सब्जी फ्रिज से निकाली गयी है  
पति महोदय नाक-भौं सिकोड़ रहे हैं 
शायद फंफूद लग गई है सब्जी में 
पत्नी का तीखा स्वर 
फ्रिज चलाने का क्या मतलब
जब चीज़ें ही न रखी जाय उसमे 

                   दृश्य -३
बेटी रुआंसी होकर स्कूल से लौटी है 
आज मैडम ने बड़ी इन्सल्ट की थी 
होम वर्क पूरा नही हो पाया 
कैसे करूँ मम्मी 
डांस क्लास्सेज,फिर गिटार
और 
कल वो शाहरुख़ की फिल्म भी तो 
आ रही थी टी.वी पर !
                   दृश्य -४
मुहल्ले  में कुछ चार-पांच लोग इकठ्ठा हैं 
चर्चा चल रही है इस बार के गणपति-उत्सव पर
कितने गरीब बच्चों को भोजन-कपडे करवाना है 
शर्मा जी ,फेसबुक  पर डटे 
फ्रेंड्स रिकुएस्ट भेजकर संख्या बढ़ा रहे हैं 


बाकी आपके  लिए छोड़े दे रहा हूँ , वैसे और भी है पर, इतने का ही मनन करें ................और .............!

Sunday, November 6, 2011

यूँ न इठलाओ !

मदहोश हवाओं में यूँ न फैलाओ आँचल 
बादलों के बरसने का अंदेशा हो जायेगा  !
रुखसार की लाली , इन्द्रधनुष का देती है गुमां  
बेहोश जवानी को मचलने का अरमां हो जायेगा !
गुनगुनाती वादियाँ हैं  , महकती  है ये फ़िज़ा 
यूँ न इठलाओ , धरा  को भी बहारा-जश्न हो जायेगा !
कायनात रंग बदलने को लगती है आतुर 
ज़ुल्फे -इकरार को  भी बयार का गुमां हो जायेगा !