कोशिशें की हमने हज़ार तुम्हे अपने रंग में रंगने की
रंग अपने ही रगे -आगोश चढ़ आया !
घिरता रहा खुद ही मकड़-जाले में मैं तो
होश आया ही कहां ,ज़िद ने' रूप' अपनी, हमे उलझाया !
रंग अपने ही रगे -आगोश चढ़ आया !
घिरता रहा खुद ही मकड़-जाले में मैं तो
होश आया ही कहां ,ज़िद ने' रूप' अपनी, हमे उलझाया !