कुछ इल्म हुआ यूँ मुहब्बत के बाद, दामन मे दिल के, एक गाँठ लगी!
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Saturday, July 7, 2012
रिमझिम बूंदों की लड़ी बहारे लेके आयीं हैं ,
दिल तो अपना है पर प्रीत हरजाई है !
तुम न मानो तो कोई बात नहीं
पर मेरी तो हर शै से आशनाई है !
1 comment:
Udan Tashtari
said...
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October 2, 2012 at 4:51 PM
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